चुनाव आयोग ने 345 राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है,
क्योंकि पिछले छह सालों में इन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा है।
चुनाव आयोग ने 345 राजनीतिक दलों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की है। ये पार्टियां सिर्फ नाम की थीं, वह कागजों के अलावा कहीं दिखाई नहीं दे रही थीं। आयोग ने इन पार्टियों को अपनी लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उनका कहना है कि इन पार्टियों के दफ्तर कहीं नहीं मिले। चुनाव आयोग के अनुसार, कई पार्टियां सिर्फ कागजों पर चल रही हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त डॉ सुखबीर सिंह संधू और डॉ विवेक जोशी ने मिलकर यह फैसला लिया है। पिछले छह सालों में इन 345 ‘रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल’ (RUPPs) ने एक भी चुनाव नहीं लड़ा है। इनके दफ्तर भी कहीं नहीं मिले। इसलिए, आयोग ने इन्हें हटाने का फैसला किया है। आयोग ने एक प्रेस रिलीज में यह जानकारी दी। ये 345 पार्टियां देश के अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं।
बसपा समर्थक सोच रहे है क्या बसपा के ऊपर कोई परेशानी है, लेकिन बसपा के ऊपर कोई भी परेशानी नहीं है ,
मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की ओर से इन दलों को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा. किसी भी गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दल को डीलिस्ट करने का अंतिम निर्णय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ही लिया जाएगा. देश में राजनीतिक दलों (राष्ट्रीय/राज्य/गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दल) का पंजीकरण जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के अंतर्गत भारत निर्वाचन आयोग में किया जाता है. इस प्रावधान के तहत, एक बार किसी संगठन को राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत कर लिया जाता है, तो उसे कर छूट जैसे कुछ विशेषाधिकार और लाभ प्राप्त होते हैं.
यह प्रक्रिया राजनीतिक व्यवस्था को साफ करने और ऐसे दलों को डीलिस्ट करने के उद्देश्य से की गई है जो 2019 के बाद से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं या उपचुनावों में भाग नहीं ले पाए हैं. इन दलों को भौतिक रूप से भी खोजा नहीं जा सका है. यह 345 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दल इस सफाई अभियान के पहले चरण में पहचाने गए हैं. यह प्रक्रिया भविष्य में भी जारी रहेगी.